न पहले जैसे लोग न पहले जैसी बातें न पहले जैसा दिन न पहले जैसी रातें न पहले जैसा खेल न पहले जैसी डांटे अब वो जिंदगी कहां है? तारों को देखकर चा…
Read more »पिछले कुछ दिनों से रवि को परेशान देख श्रुति को बड़ी चिंता हो रही थी। वह रोज देख रही थी कि मोबाईल पर एक कॉल आते ही रवि उठ कर एकांत म…
Read more »नीलाक्षी बरामदे में बैठी गौरैया की कटोरी में पानी डाल रही थी।डालते डालते उसे अपना बचपन याद आ गया। जब से दादी उनके संग रहने आई थी वो सार…
Read more »आज कई दिनों से सेठ की तबियत बिगड़ी थी। वह सेठ नहीं था, उसका नाम सेठ था। गाँव के डाक्टर ने जो उसके पास था, ऐंठा फिर जवाब दे दिया। …
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