सुख वैभव समृद्धि सफलता, प्रगति बेटियाँ हैं। कभी सेंकती नरम मुलायम, गरम रोटियाँ हैं। बुद्घि प्रखरता में हैं आगे, ऊर्जा का मण्डार- भारत के गौरव…
Read more »आदर्शों की ऊँचाई हैं मेरे पिता, नैतिकता की परछाईं हैं मेरे पिता, अनगिनत दुख-शोक-व्याधि झेलकर बने नीलकण्ठ विषपायी हैं मेरे पिता। पितृहीन होकर कि…
Read more »सियासत में जो बरसों से पड़े हैं समझ लीजे कि वे चिकने घड़े हैं ब स इक अपना ही कद है सबसे छोटा …
Read more »जो सामने नदी हो तो अधर पे प्यास भी हो न उधार की ख़ुशी हो सचमुच की ज़िन्दगी हो हर दिल में …
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