अब मैं इस बारिश को अच्छा कहूँ या बुरा ? कल रात इसने मिट्टी के कुछ खिलौनों को फिर मिट्टी में मिला दिया और मेरे सामने छोड़ दिया एक उदा…
Read more »क्या लगाकर हिसाब बांटोगे चार में इक गुलाब बांटोगे बाल जिसके सफ़ेद जिस वय में हर किसी को ख़िज़ाब बांटोगे किस तरह जब हज़ार प्यासे हैं च…
Read more »पड़ेगी और गुंठन क्यों रखेंगे किसी के पास उलझन क्यों रखेंगे अगर हम एक टूटा दिल रखे हैं उसी की भांत…
Read more »सुख वैभव समृद्धि सफलता, प्रगति बेटियाँ हैं। कभी सेंकती नरम मुलायम, गरम रोटियाँ हैं। बुद्घि प्रखरता में हैं आगे, ऊर्जा का मण्डार- भारत के गौरव…
Read more »
Social Plugin