कभी -कभी मैं बिल्कुल अकेला हो जाता हूँ पेड़ की उस डाल की तरह जिसके पत्ते अभी-अभी गुजर गये बिना किसी शोरगुल के और अपने पीछे छोड़ आये ह…
Read more »अब मैं इस बारिश को अच्छा कहूँ या बुरा ? कल रात इसने मिट्टी के कुछ खिलौनों को फिर मिट्टी में मिला दिया और मेरे सामने छोड़ दिया एक उदा…
Read more »क्या लगाकर हिसाब बांटोगे चार में इक गुलाब बांटोगे बाल जिसके सफ़ेद जिस वय में हर किसी को ख़िज़ाब बांटोगे किस तरह जब हज़ार प्यासे हैं च…
Read more »पड़ेगी और गुंठन क्यों रखेंगे किसी के पास उलझन क्यों रखेंगे अगर हम एक टूटा दिल रखे हैं उसी की भांत…
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