युद्ध के बीज से दुष्परिणाम ही जन्म लेता है. त्योरियां नहीं बदली तो तय है अकल्पनीय विध्वंस. हो भी रहा है, दिख भी रहा है, फिर भी मानव…
Read more »परम सुंदर शरद ऋतु, सज-धज धरा पर उतरी। मन मोहती विश्व-मोहिनी, शरद नायिका नववधू-सी। तरू से पात गये सब झर, नव कोंपलों का हुआ सृ…
Read more »हे मनुवा! जो बीत गया है उसे याद ना कर... आने वाले कल की चिंता ना कर... ज़िंदगी का हर एक लम्हा अनमोल है उसे यूं ही जाया ना कर... सं…
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