आई एक नई बहार रंगों का सुंदर त्यौहार फागुन की मस्ती छाई मधुरम सपने लाई रंगों की होती बौछार नफरत का तिरस्कार गुझिया की मिठास …
Read more »कदम्ब की डाल बैठ पपीहा कूक रहा आया वसन्त भॅंवरों का मन डोल रहा रंग-बिरंगी तितलियों की मुस्कान मनोहर फूलों का चुरा पराग मधुरुपी हुआ श्रृ…
Read more »तिनकों का आशियाँ अधूरा सा है न कोई गाँठ पूरी हुई मुझसे न कुछ सामान सहेजा मैंने जिसे खोला था तुमने हौले से वो दरवाज़ा अब भी अधखुला …
Read more »
Social Plugin