कठिन संघर्षो से भरी राह पर निकल पड़ा राही ये ठान कर तब तक मंजिल नही पा लूँगा घर लौटकर न जाऊँगा मन में था कई बर्षो से यह बोझ किसी में कुछ…
Read more »हा त्राहिमाम हा त्राहिमाम, हा त्राहिमाम की सुन पुकार। क्रन्दन कर उठा हृदय कवि का, शिशुओं का सुनकर चीत्कार।। ख़ाकीन कर दिया पतनों ने, दे द…
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