लुढक गया है चाँद उतर कर धीरे धीरे खपरैलों पर झोपड़ी की झिरकी से बिखरी गयी है क्षीण आभा सोयी आदिम बाला खदानों से लौट कर हाड़तोड़ श्रम त…
Read more »क्यूं मुझसे रुठे तुम? विश्वास तोड़ कर भागेतुँ बने झूठे तुम । क्यों चले गये? जाते -जाते मेरी गलती तो बताते। बिना बताएं क्यों? मुझको सत…
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