खामोशी की की भी जुबान होती है। जिसमें छिपी जज्बातों की, दास्तान होती है। हो जाता है मुश्किल, खामोशी को समझना। नही होता मन के, जज्बातों को समझ…
Read more »सूरज ढलते ही आसमां सूर्ख लाल हो चले थे, दोनों की चाहतें बेशर्मी से परवान चढ़ने लगे थे. दोनों गाड़ी से उतर पहाड़ियों के ढलान …
Read more »दीवारों ने कहा ही कब था तुम उकेरो दर्द भरे चित्र अपना अक्स खोजो मिल जाये कहीं सच्चा कलम कूंची का वो सिरा पकड़ कर क्यों उतारे मूरत रंग ही…
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