छेड़ दी कैसी यह तुमने, है मधुर झंकार, छू हृदय के तार प्रियवर, छू हृदय के तार। मेरी जीवन वीणा पर, मधु राग को झंकृत किया, बज उठे नूपु…
Read more »नवरत्न जड़ित सोलह श्रृंगार कर, स्वर्ग से उतरी नववधू-सी। धानी चुनर ओढ़कर, हरीतिमा फैलाती रत्नवती।। शिव जटा से धरा पर उतर कर, वसुंधरा क…
Read more »उदास रातों में उम्मीद की शमां जलाओ यारो सन्नाटे की दीवारों पर खुशियां सजाओ यारो फिर ये ख़ामोशी भी छेड़ेगी तराना कोई नयाँ इस वीराने में गीत कोई भ…
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