फिर से प्रकृति का प्रकोप देखने को मिल रहा है | आने वाले समय में ये प्रकोप और अधिक विकराल हो सकता है | सब जानते हैं…
Read more »सुनो! तुम उड़ जाओ आसमां को छू जाओ। न रहो तुम पिंजरे में अपनी राह चली जाओ। जा रही हो अकेली डर तो न जाओगी? इतने बड़े आसमां में …
Read more »एहसास भी हैं, जज़्बात भी हैं। मेरे दिल में ख्वाहिशें बेहिसाब भी हैं। न खेलो मुझसे मैं एक नारी हूँ। इस संसार को मैं जन्म देने वाली …
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