मानव मूल्यों में सर्वोपरि गुण मनुष्य का विकास समाज में रहकर सम्भव है। समाज के बिना मनुष्य पशुवत् है। पशुओं की अपेक्षा मनुष्य विवेकशी…
Read more »बेटा,अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए, कब तक अपनी बूढ़ी माँ को परेशान करता रहेगा? क्या तुम मुझसे परेशान हो चुकी हो? मुझें लगता था, तुम मुझें …
Read more »निर्मल आकाश, नीले आकाश में यदा - कदा बादल, और आषाढ़ का महीना। चलती पूर्वी हवा जो बदन का अंग - अंग पीड़ा देरहा था। धरती के कटे पेड़, उजड़े प…
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