यह जीवन है उड़ता पक्षी, न जाने किस डाल पर बैठेगा, उड़ेगा चुग्गा लेकर फिर, न जाने कहाँ शाम बिताएगा! कोई पंक्षी गगनांचल में, कोई धरती पर …
Read more »हमारा सम्मान है हिंदी, राष्ट्र का गान है हिंदी। राष्ट्रधारा में बहती हिंदी, गौरवगान कराती हिंदी। गजलों की मौसी हिंदी, उर्दू की सहयोगी हिंदी…
Read more »अस्तित्व पे कुठाराघात अब हुई असहनीय बात आत्याचारिओं को सबक सीखाना है आवाज़ उठाना है सखी आवाज़ उठाना है . समाज में छुपे दरिंदे आस्तीन …
Read more »मेरे घर की चार दीवारें, बटवारे में बटी हुई हैं, पर छत की अब भी है कोशिश, चौबारे न बटने पाएं, छत से ही विद्रोह कर रहीं हैं ,कद से ऊंची दीवारें, अ…
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