व्यथित अन्तर्मन की सेवित प्रति अभिव्यंजना है। स्वर्ण मृग यथार्थ है प्रतिभास है या कल्पना है।। क्षुधा तृप्ति,ढके तन, आश्रय तक सब सही था स्वर्ण…
Read more »नई उमंगे सँग में लेकर नव प्रभात अब आया है। बुरा समय अब बीत गया है नई किरण इक आई है । चहुंदिश फैल रहा उजियारा, खुशहाली अब छाई है। …
Read more »है वर्ष नया उत्कर्ष नया आने वाला संघर्ष नया तुम पार करो हर पर्वत को यह है अपना आशीष नया अलविदा कहो उस वर्ष को तुम जो है अब जानेवाला पर याद रख…
Read more »कहीं ना जा रे इंसां सूकूँ ओ तलाश में, ना ढूंढ यहाँ-वहाँ, शहर-गाँव की गलियों में। बैठ जरा अपने परिवार संग, है वहीं कहीं वो उन्हीं की खट्टी-मीठ…
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