समझ ना पाई उनकी आंखें जब मेरे नयन की भाषा इसी लिए शायद क्वांरी है मेरे अंतस की अभिलाषा लाख चाहने पर भी अपनी, भावुकता हम छोड़ नहीं पाए। किंतु म…
Read more »किसी प्राणी को दुख ना दें हम किसी का हक़ भी नहीं छीनें हम किसी को हानि ना पहुँचायें श्रम से कभी नहीं घबरायें जो भी करें हो राष्ट्र-ह…
Read more »धरती के भगवान सदृश , इतने अच्छे इंसान हैं पालनकर्ता सकल विश्व के मेरे पिता किसान हैं रोजसवेरे तड़के उठकर , खेतों में वे जावें , माता के …
Read more »प्यार में हम ओर छोर से सराबोर हो गए तुम ना मिली हम किसी और के हो गए बदले तुम और बदला तुम्हारा वो फैसल…
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