रूष्ट होते वचनों से केश खींचें निकाली गई विरह अग्नि में भस्म जली अपमानित जन बांधी गई कूट कूट मिथ्या ही लागे अ…
Read more »धरा भी अब त्राहिमाम कर रही प्रचंड गर्मी से अब ये जल रही सूर्य का चरम तेज धरा अब न सह रही विषम स्थिति में धरा विलाप कर रही । जल का दोहन अब…
Read more »हृदय में उमड़ते भावों को शब्दों का खूबसूरत रूप देकर उकेर देती है कागज पर कभी बन जाती कोई कविता कहीं किसी की कहानी लिख जाती तर्क के तर…
Read more »बारिश की बौछार से जब धरा पर पड़ती है गर्मी की तपन से सबको राहत मिलती है सूखी हुई फसल को अमृत सा मिल जाता है यह देखकर कृषक गदगद हो जाता है …
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