झुकी हुईं डाली के अंतिम छोर पर बैठी चिड़िया हिचकोले खाती हुई संसार को कभी दाएं कभी बाएं से निहारती हुई मन में विचारों का तूफ़ान लिए उड़ान भर …
Read more »प्रकाश की ओर बढ़ना.. बढ़ाना चाहता हूँ । उन्नति का विषय पढ़ना मैं पढ़ाना चाहता हूँ.. अज्ञान तम से जग को छुड़ाना चाहता हूँ। बिना डो…
Read more »निर्मोही सजनी तू ना समझी मेरे मन के पीड़ को फैसले फासले के थे तुम्हारे कैसे दोष दूँ तकदीर को । यूँ तेरा इश्क में छलना मगर मैं चलना नहीं सिखा सिखा ठ…
Read more »नारी एक सृष्टि की सृजना, नारी एक, रूप अनेक में , नारी ही धात्री ,नारी ही पालक, नारी ही लक्ष्मी,नारी ही काली, नारी ही गंगा, नारी ही गाय…
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