दीपावली पर्व खुशिओं का , आओ इसे मनायें । घर की सभी मुंडीरों पर , माटी के दिये जलायें।। जगमग-जगमग हो सारा जग , प्रेम-लहर बन झूमें। प्रीति करें म…
Read more »पति की खातिर जल्दी उठकर, सुबह सवेरे चाय बनाती। लगी रहे घर के कामों में, घर की हर उलझन सुलझाती। चौका कपड़े झाड़ू पोंछा, काम सभी घर के निपटाती। साथ…
Read more »झुकी हुईं डाली के अंतिम छोर पर बैठी चिड़िया हिचकोले खाती हुई संसार को कभी दाएं कभी बाएं से निहारती हुई मन में विचारों का तूफ़ान लिए उड़ान भर …
Read more »प्रकाश की ओर बढ़ना.. बढ़ाना चाहता हूँ । उन्नति का विषय पढ़ना मैं पढ़ाना चाहता हूँ.. अज्ञान तम से जग को छुड़ाना चाहता हूँ। बिना डो…
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