हमने माना कि है मुख़्तसर ज़िंदगी, नफ़रतों में न हो पर बसर ज़िन्दगी। क़द्र इसकी करो ये है आब-ए-हयात, बन न जाए कहीं ये ज़हर ज़िंदगी। ग़र हैं कांटे तो गुल …
Read more »लोग हैं बेशक गिराते जलवे ना इतना जल्दी उल्फ़त लगा. छली दुनिया छलती रहेगी एक ही चूक बस देगी दग़ा. जिसके दर पर प्रीत लगी उसी के आंगन गया…
Read more »सफ्हा -ए - हस्ती, इंसान की बस्ती वुजूद ना बचता, जो न होती मस्ती। मिरी सन - ए विलादत, अहम नहीं अहम की बात है, जिंदगी ही मस्ती। चौकोर सेहन था, मिरी च…
Read more »देखो देखो भारत ने रच दिया फिर एक नया इतिहास , बड़ी कठिनाइयों के बाद चांद पर पहुंच गया चंद्रयान। चांद को सुना करते थे हम कविता कहानियों में , …
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