कसम से ज़िंदगी में यूँ न बेबसी होती अगर ताउम्र तेरी रहबरी मिली होती न सजती दर्द की महफ़िल न मैं मिटी होती बहार आने की उम्मीद गर बची होती तुम्हारा…
Read more »अक्सर मैं अपनी जिंदगी से उदास हो जाता हूँ। खुदगर्जियों से परेशान हो जाता हूँ। तलाशता हूँ जीने की थोड़ी सी ख़ुशियाँ। न जाने क्या से क्या उठते हैं विचा…
Read more »- १- धैर्य नही रख पाये यदि तो , शान्ति नही आ पाएगी। मुख से निकली सुर-वाणी भी , अर्थ हीन हो जाएगी…
Read more »जो मिल गई, वो मोहब्बत कैसी । जिसे पा लिया, वो महबूब कैसा । मोहब्बत में ना हो कसक ना हो दर्द ,ना हो जुदाई । वो मोहब्बत कैसे कहलाई ! मोहब्बत के बद…
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