पात से बूंद सी आंखें झरती रही रात भर पानी बरसता रहा बिजली कड़कती रही रात-भर बीती बातों का समन्दर उमड़ता रहा रात भर मैं एकाकी स्वंय से लड़ती तकिया भ…
Read more »बेटी भी तुम्हारा अंश है , माँ! तुम तो समझो , तुम भी कभी किसी की बेटी थी। पिता तो अपने पुरुषार्थ से मजबूर है , पुरुष है वह तो , मगर , बेटी…
Read more »जयति जयति जय माँ भारती। कोटि नमन शत बार आरती।। सूरज करता अभिनन्दन, नित्य लाल लगाकर चन्दन। हिमपर्वत हिमराज हिमालय, औषधि भंडारण का आलय।। जयति जयति …
Read more »फिर से हमें मतदान करने का अवसर मिल रहा है | अर्थात हम भारत के नागरिक यह तय करेंगें कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में कौन-कौन बैठेंगें? कौन हमारे ह…
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