स्याह हुआ खून क्यों कर जला होगा कोई अरमां मौत आती नहीं अक्सर कि थाम ले उसका ही दामां कौन आया है मैय्यत में बुझा कर उम्मीदों की शम्मा दफ्न हो जाएगा जि…
Read more »सिसक रही मानवता देखो अँसुवन धार बहाए माँग रही दो बूँद नेह की आँचल को फैलाए पथ भूले पथराए जग को प्रेम ही राह दिखाए सहज हुईं मुश्किल राहें जब प्र…
Read more »अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण से, महकता है शिक्षा का मंदिर। अपने कार्य और जिम्मेदारी का बोध, हो मन के अंदर। आत्म संतुष्टि ही है, सबसे बड़ा सम्मान।…
Read more »नहीं वह सम्मुख अचरज की न बात मेरी व्यथा से है विमुख मन पर कुठाराघात| मेरी व्यथा का रहा न भान भूल गए मेरा त्याग बलिदान सारी कामनाएं अधोगति को प्राप…
Read more »
Social Plugin