तेरे हिस्से की चाँदनी, गर होती मैं इक बार। नील गगन ले जाती तुझको, अपने पंख पसार। या कहीं पर बैठ किनारे, श्वेत छीर सागर के तट। चाँदनी भर लेती मु…
Read more »बचपन का वह दौर बहुत अच्छा था, जब मैं एक छोटा बच्चा था। हर फिक्र से आजाद था, तब मैं किसी खुशियों का नहीं मोहताज था। न जाने क्यूं हम बड़े हो गए, सारी ख…
Read more »मन करता है कि फिर से लौट जाऊँ वहीं जहाँ से चली थी कुछ साल पहले जहाँ काकी,दादी,बुआ ममेरे,फुफुरे,चचेरे खेत,खलिहान,गाँव-गिराव सभी जाने-पहचाने थे... यहाँ…
Read more »हमारा देश विविधताओं से भरा देश है | यह विविधता ही भारतवर्ष को अप्रतिम सौन्दर्य प्रदान करती है | इन्ही विविधताओं में से एक है – भाषाओँ की विविधता…
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