क्यों हुआ निराश तू, सफर से ओ मुसाफिर | ये तो वो लम्हा है, जो यूं ही गुजर जायगा || मंज़िल जब होगी हांसिल , यकीनन | तुझे बस ये तेरा सफर ही याद आएगा ||…
Read more »एक घने कोहरे से, गुजर रहे है हम इन दिनों | नजरों के सामने होकर भी, नजर वो आते नहीं || दो कदम बढ़ाकर रुक गए वो, और हम चलते रहे | जो ठहर जाते हम भी, तो…
Read more »आज फिर से प्रेम की उन गलियों में, जाने को जी चाहता है तेरे पास आकर तुझे, गले लगाने को जी चाहता है, तड़पाती है तेरी यादें मुझे हर पल जानॉं बस एक बार …
Read more »मेरी जिन्दगी रिश्तों का ठहरा हुआ जल स्पदंन रहित उदास सी तुम आजाओ बरस जाओ प्रेम बूंदो से तरंगित करदो उठने दो लहरें मैं क…
Read more »
Social Plugin