वह सांवली लड़की, दुबली पतली कृषकाय, कभी नहीं रही, मेरे कैनवास में , जीवन के डोमेन में। वह रोज मेरे दिल में आती, अपना काम निपटा कर चली जाती। द…
Read more »अक्सर कहते मुलाकात होगी , वह मुलाक़ात अभी हुई ही नहीं। हर दिन होते , रातें होती , वादे होते , लेकिन , लेकिन कभी मुलाकाते न होती। कल भी कि…
Read more »उसके छठवें जन्मदिन पर उसके पिता जी ने शहर के नामी-गिरामी अंग्रेजी स्कूल में पहली कक्षा में उसका नामकरण कराया. उसी दिन गांव के एक बड़े प्लॉट में पच…
Read more »उलझती गई जिन्दगी बदनसीबी रूलाती चली गई। दावा करते थे जो मददगार होने का उन्हीं के हाथों सताती चली गई। हर गिरह ऐसी बंधी कि खुलने का नाम न ले खुल…
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