ओ करूणा, तेरी आँखों में आँशु हमेशा रोती रहती है क्या रात भर तू सोती नहीं है जब भी तुम्हारे बारे में सोचता हूँ कितने ही चेहरे सामने आ जाते हैं मी…
Read more »सुलगते हूए अंगार रास्तों पर, कदम-कदम फटते ज्वालामुखी। शूल-सी तीक्ष्ण शिलाएँ पथ में, तपती आग-सी, पैरों तले जमीं। बरसते है पैने बाण आसमां से, हवा…
Read more »कब तक तोड़ोगे स्त्री को जिससे टूटकर तुम पैदा हुए हो, झांक अपने अंदर आज तूम जिस अस्तित्व पर इतराते हो जिस पौरुष को दिखलाते हो वह किसी और की नहीं उसी …
Read more »खुशनसीब हूं, बाप बना हूं, मैं बेटी का बाप हूं, देख उसे मैं खुश हूं! नन्हें पग वह चलती थी, घर - आंगन में खुशियां थी, घांघरिया कम पैसों की, लाता ऊ…
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