जगती तल पर प्राणी जो, आया खेलने खेल, देख तमाशा कैसा है, कर्म-भोग का मेल। कर्म-भोग का मेल, ना बाधा डालो उस में, करने दो,भरने दो, जो बोया है जिस …
Read more »बैठा है दुशासन डगर डगर पर इतने कृष्ण कहां से आयेंगे सुनो नारियों खुद ही अपना चीर संभालो हम खुद ही अपनी लाज बचायेंगे कोमलता का यह समय नही अब श्रृंगार …
Read more »अम्बर होता, अचला होती, शिव की नगरी काशी होती| पर जान मृत्यु ना आएगी, कुढ़ता नर की विषता होती|| यदि मृत्यु न होती| संतोषी वृति विलीन होती, विद्रोही…
Read more »श्वास की माला जपूँ चैतन्य का तिलक लगाऊँ ज्ञान का जनेऊ धर प्रभु तुझमें खो जाऊँ।।1।। प्रेम का यज्ञ करूँ अहं की समिधा जलाऊँ मिटने का संकल्प कर प्रभु त…
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