शेरू जो कभी किसी अंजान व्यक्ति को अपने बूढ़े मालिक की घर के बाहर बनी कोठरी के पास देखता था तो भौंक भौंक कर डरा कर वहाँ से उसको जाने को मजबूर कर…
Read more »वह निश्चेतन अवस्था में, बिना किसी हरकत के, आँख बंद किए सोई सी पड़ी थी। बालों में कयी दिनों से कंघी नहीं की गई थी। कभी - मैं अपनी उंगलियों को …
Read more »दरवाज़ा खोलते ही ठंडी बारीश की कुछ बूँदें उस के मुँह पर गिरी,गरमी में पानी पड़ने पर ठंडक से मौसम बहुत ही ख़ुशगवार हो गया था ।बालकनी में लगे सभी पौधे…
Read more »अखबार पलटते पढ़ते नजर 'दहेज की वेदी पर एक और बलि'शीर्षक पर अटक गई। यों तो प्रतिदिन समाचार पत्रों में दहेज पीड़िताओं के समाचार छपते …
Read more »
Social Plugin