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विश्वास

   

     सर, यह मेरा बॉयो डाटा है। अखबार में आपके संस्थान की ओर से मांगे गए इंसटैक्टर के पद के लिए आवेदन लाया हूं और आपने जो अखबार की कटिंग साथ लाने को लिखा था, मैं उसे भी लाया हूं’ शशांक ने अपना बॉयोडाटा पकड़ाते हुए संस्थान के निदेशक सत्यप्रकाश को कहा। उस समय जरूरी काम से जाने के कारण सत्यप्रकाश ने उसका बॉयोडाटा लेकर रख लिया। पहचान बनाने के उद्देश्य से शशांक ने बताया कि ‘सर, जिस स्कूल में आप पढ़ते थे, मेरे पिताजी उसी स्कूल में अंग्रेजी विषय के अध्यापक थे और शायद आप उनसे पढ़े भी हों।’ यह बात सुनकर सत्यप्रकाश ने शशांक से उसके पिताजी का नाम पूछा और उसे दो दिन बाद आने को कहा।

उसके जाने के बाद सत्यप्रकाश को स्कूल की बात से अनायास ही याद आया कि शशांक ने जिस अध्यापक का नाम बताया था वह उससे ट्यूशन न करने वाले विद्या£थयों की प्रायः रोज ही पिटाई करता था। सत्यप्रकाश उन दिनों मध्यम वर्गीय परिवार का मध्यम श्रेणी का विद्यार्थी था और ट्यूशन लगाने में असमर्थ था। एक दिन टैस्ट में कम नम्बर आने पर उसी अध्यापक ने उसकी बेरहमी से पिटाई की थी और उससे कहा था ‘नालायक! मैं विश्वास से कहता हूं कि तू जिन्दगी में कभी कुछ नहीं  कर सकता। तुझे कोई चपरासी की नौकरी पर भी नहीं  रखेगा।’
सत्यप्रकाश ने स्कूल की पढ़ाई के बाद सॉफ्टवेयर में इंजीनिय¯रग करके अपना स्वयं का इन्स्टीट्यूट खोल लिया था और उसमें इंसटैक्टर के पद के लिए अखबार में विज्ञापन दिया था।

दो दिन बाद आकर शशांक ने सत्यप्रकाश से कहा ‘सर, आपने मुझे आज आने के लिए कहा था। सर, मेरे पिताजी रिटायर हो चुके हैं और मुझे कहीं  भी नौकरी नहीं  मिल रही। आपके नाम को अखबार में पढ़कर पिताजी ने ही मुझे कहा था कि आपसे मिल ले। उन्होंने कहा था मुझे विश्वास है कि यहाँ पर तुम्हें नौकरी जरूर मिल जाएगी।’ सारी बात शशांक ने एक ही लहजे में कह दी। सत्यप्रकाश उसकी बात सुनकर पहले तो मुस्कराया और फिर अपने गुरु के विश्वास को कायम रखने के लिए उसे अगले दिन से ही नौकरी पर आने के लिए कह दिया।


- योगेश कौशिक

बड़ा तालाब, मन्दिर मार्ग,

रेवाड़ी (हरियाणा) 

95178000