नीरजा हेमेन्द्र शिक्षा- एम.ए.( हिन्दी साहित्य ), बी.एड.। संप्रति- शिक्षिका ( लखनऊ उ0 प्र0 ) अभिरूचियां-पठन-पाठन, लेखन, अभिनय, रंगमंच, पेन्टिंग, एवं स…
Read more »जीवन के अंतर्बाह्य यथार्थ अर्थात भीतर- बाहर रचे बसे कटु - मधुर जीवनानुभवों से निर्मित कविताएं शिखर जैन हाल ही में शैलेन्द्र चौहान की कविताओं का …
Read more »‘फिर से सूखी रोटी और आलू की सब्जी। पिछले तीन महीने से यही खाना खा-खाकर ऊब चुका हूं। मैं नहीं खाऊंगा’ -खाने की थाली को गुस्से में उलटते हुए पप्पू ने क…
Read more »किरण हाथ में कागज का टुकड़ा लिये खुशी खुशी आवाज़ लगाती हुई आती है। "पापा। मम्मी। (रुक कर) अरे ! क्या हुआ? आप लोग इस तरह मुंह लटकाए क्यों बैठे है…
Read more »मुरारी की साइकिल चोरी हो गई बाजार से। मुरारी थाने गया रिपोर्ट लिखाने।हाथ में तहरीर देखकर दरोगा ने मुरारी को घूर कर देखा फिर हड़काते हुए पूछा-क्या है? …
Read more »मेरी सेवानिवृत्ति में अब मात्र एक वर्ष ही तो शेष रह गये हैं। जीवन के विगत् सत्ताइस वर्ष ऐसे व्यतीत हो गये जैसे सत्ताइस दिन। कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता ह…
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