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मेरे हमजोली

 









वादा है तुमसे मेरे हमजोली ,

तुमसे दूर कभी ना जाऊँगी |

कितने हीं विपत्ति आ जाये ,

हर हाल में साथ निभाऊँगी |

 

नेह-राग जो तुमसे है जोड़ा

जुड़ेगा ना अब किसी से फिर

तेरे संग मेरे हमदम-हमराही ,

हर जन्म मैं साथ निभाऊँगी |

 

बन जाओ तुम मनमीत मेरे ,

खुशियों की संसार सजाऊँगी |

चंद्र किरण राहों में दूँगी वार ,

प्रिये मैं तुमसे नेह निभाऊँगी |

 

तुमसे  है  मुझे अनुराग बहुत ,

दूर  कहीं  ना अब  जाने दूँगी |

छोड़ना कभी ना तुम साथ मेरा,

विरह-वेदना में मैं जल जाऊँगी |

 

कितने हीं कष्ट हो कितने विषाद?

स्नेह से सिंचित मैं कर जाऊँगी ,

चिर अभिशप्त हृदय के शूल मिटा,

बन पराग पथ में मैं बिछ जाऊँगी |

 

लेकर अपने हाथों में हाथ मेरा ,

अब तुम भी दे दो ना साथ मेरा  

रंग दो मोहे अपने रंग में प्रिये 

उमंग से  मैं भर जाऊँगी |

 

जो तुम बन जाओे मनमीत मेरे

झंकृत हो जाती मेरी रूह-तार 

नेह-स्पर्श और अगाध- प्रेम  ,

पाकर मैं खुशियों से भर जाऊँगी |

 

दूर कभी जो तुम गये मुझसे ,

प्रिये मैं सहन नहीं कर पाऊँगी 

तेरी खुशियों की खातिर प्रियतम 

साँसे भी अपनी वार मैं जाऊँगी |

 

कमला सिंह 'महिमा'

खोरीबाड़ी, पश्चिम-बंगाल