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बहुत दिया

 



 





भीड़ में अकेली थी मैं,

तूने अपने वजूद का आभास दिया,

जब हारकर गिरने लगी मैं,

तब तूने ही जीत का विश्वास दिया,

कैसे कह दूं कुछ नहीं दिया,

बहुत दिया तेरे प्यार ने,

बहुत दिया।

अंधेरे में चल रही थी मैं,

तूने ही प्रकाश दिया,

चुनौतियां डरा रही थी मुझे,

तूने ही ढढ़ास दिया,

कैसे कह दूं कुछ नहीं दिया,

बहुत दिया तेरे प्यार ने,

बहुत दिया।

कभी मेरी चिंताओं को

अवकाश दिया,

कभी मेरी जिंदगी में भर

उल्लास दिया,

कैसे कह दूं कुछ नहीं दिया,

बहुत दिया तेरे प्यार ने,

बहुत दिया।

शुक्रगुजार हूं मैं तेरी,

तूने मेरे हर दुख को 

भेज वनवास दिया,

शुक्रिया उस प्रेम का,

जिसने मेरे हृदय में वश,

इसे बना प्रेम निवास दिया,

कैसे कह दूं कुछ नहीं दिया,

बहुत दिया तेरे प्यार ने,

बहुत दिया।

अंकिता जैन अवनी

पुराना बाजार जैन मंदिर के पास

 अशोकनगर-473331

मध्यप्रदेश

मोब-8717895125