जवानी से गुफ्तगू करें,
बचपन की यादें,
वहीं बुढ़ापे को याद आये,
जवानी में किए वादे।
आगे बढ़ते कदम
हर बार रुकते हैं
मुड़ते हैं और पीछे देखते हैं,
इन्हें दिखते वे लम्हें,
जिन्हें जीया था कभी,
वो पल जिसने दिल को
छुआ था कभी।
इन्हें बचपन के चटपटे किस्से याद हैं,
इन्हें शैतानी भरी हरकतें याद हैं,
इन्हें जवानी की करवटें याद हैं,
इन्हें बुढ़ापे की सरवटें याद हैं।
ये नहीं भूले कुछ भी
हर लम्हें को इन्होंने सहेजा- संवारा,
इनके पास है यादों का पिटारा।
अंकिता जैन अवनी
पुराना बाजार जैन मंदिर के पास
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मध्यप्रदेश
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