अकेला

अरुणिता
द्वारा -
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कभी -कभी

मैं बिल्कुल

अकेला हो जाता हूँ

पेड़ की उस

डाल की तरह

जिसके पत्ते

अभी-अभी गुजर गये

बिना किसी शोरगुल के

और अपने पीछे

छोड़ आये हैं,

टूटने की

ढेर सारी आवाजें!

-कुमार पवन कुमार ‘पवन’

असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग

 कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान


सुलतानपुर, (उ०
प्र०)

 

 

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