काफी कुछ हासिल है फिर भी थोड़ी कसर होती है।
मांगना है तो मांगते रहो जमाने भर से बेशक
खैर मिलता तो तभी है जब उसकी मेहर होती है ।
मायूस ना हो तुम रात के गहराने पर ए दिल
बस याद रखो इतना हर रात की सहर होती है।
वार करने को हथियार की जरूरत क्या उनको
जिनके पास खंजर सी कातिल नज़र होती है ।
इश्क का इज़हार तो वो करते नहीं हमसे कभी
फिर भी देर से आने पर उनको फिकर होती है ।
उनके कहने से तो पीने वाले शराब भी पी लेते हैं
वरना मालूम सभी को है चीज़ तो ये जहर होती है ।
शायद मालूम नहीं कितना बेशुमार है खज़ाना मेरा
बहुत बेहिसाब है मेरे पास वो दौलत जो सबर होती है।
मुमकिन नहीं है मुलाकात तो भी कोई बात नहीं
दिलों को सुकून के लिए काफी एक नजर होती है।
-प्रज्ञा पांडेय
वापी, गुजरात