पायल की रुनझुन से मुझको जगाना |
आंख मिलते ही तेरा वो मुस्कुराना,
आज भी मुझे याद है।
गेसूवों का झटकना ,
बूंदों को मुझ तक पहुंचाना,
सूरज की लाली सी बिंदी लगाना |
आज भी मुझे याद है।
दर्पण में खुद को देख, खुद पर रीझ जाना।
बालों में उंगली फिरा, खुद में सिमट जाना ।
आहट मिलते ही तेरा कोने में छुप जाना ,
आज भी मुझे याद है।
बलखाती कटि नागिन सी चोटी लहराना,
मदिरमयी आंखों में , काजल लगाना।
देख लूं मैं सबसे पहले, तेरा वो कंगन खनकाना
आज भी मुझे याद है ।
भावशून्य हो ,खुद में खो जाना,
होठों के बीच में ,उंगली दबाना ।
छूते ही तेरे तन-मन को ,छुई-मुई हो जाना ।
आंखों ही आंखों में, सब कुछ कह जाना।
आज भी मुझे याद है।
-मधुलिका राय
गाजीपुर, उत्तर प्रदेश