इस जहां में एक औरत मां होती हैं।
बेहिस्सो हरकत में बन हिफाज़ते जां,
सरीय तासीर की बुरुदत मां होती है।
खुद का दर्द भूलाकर शब रोज़ महव,
बरअक्स हालत में जरूरत मां होती है।
दिल में लिए मुसीबतजदा की तड़प,
दिलेराना खैर खिदमत मां होती है।
रात जाग कर, लोरी गाए तरन्नुम में,
चैन व सुकून की रहमत मां होती है।
खुश - आयंद , मादराना जोश लेकर,
हर हाल में उठाए ज़हमत मां होती है।
एक अनजाना सच को जान तो लीजिए,
जिन्दगी की पहली इबरत मां होती है।
-महेश अनजाना
जमालपुर