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आओ बातें करें


             लेखनी में बहुत शक्ति होती है | शब्दों की सामर्थ्य अपार है | लेखनी द्वारा जब सुन्दर शब्दो की लड़ी बनायी जाती है तो उसमें जाने कितने शब्दकार जुड़ जाते हैं | बहुत से रिश्ते लेखनी द्वारा स्थापित कर दिए जाते हैं | इन रिश्तों मेंदूरी’ जैसे   निरर्थक हो जाते हैं | लेखक और पाठक सदा निकट ही रहते हैं | जाने शब्दों के कितने चितेरे इस भौतिक जगत में अपने शरीर सहित अब विद्यमान नही हैं परन्तु उनके होने की अनुभूति सदा रहती है |

         महाकवि कालिदास का केवल देहान्त हुआ उनका स्वयं का अन्त तो जाने कितनी सदियों बाद  हो  और भी या हो | शेक्सपीयर और कीट्स पता नही  कितनी पीढ़ियों तक मनुष्य के साथ रहें | ‘अरुणिता’ परिवार के सभी रचनाकारों के बीच भी एक स्नेह का रिश्ता बनता जा रहा है | सभी एक-दूसरे के  लिखे हुए शब्दों में भरे आत्मीयता के भाव से आह्लादित हैं |

             इस अंक में बहुत सी रचनाएँ हृदयस्पर्शी हैं | आपको किनकी रचना सर्वाधिक पसन्द आयी, हमें अवश्य लिखिए | सभी रचनाकारों और पाठकों के लिए ढेर सारी मंगलकामनायें |

 

जय कुमार

(सम्पादक)