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गलियाँ

 बीते हुए बचपन की

गवाह हैं, मेरी गलियाँ

अब भी

लिखती हैं, वह

मेरी सलामती की चिट्ठी

देर रात बैठकर

जब सो जाता है

पूरा शहर

खामोशी की चादर

ओढ़ कर!

कुमार पवन कुमार ‘पवन’

असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग

 कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान 

सुलतानपुर, (उ० प्र०)