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क्या बाँटोगे?

 क्या लगाकर हिसाब बांटोगे

चार में इक गुलाब बांटोगे

बाल जिसके सफ़ेद जिस वय में

हर किसी को ख़िज़ाब बांटोगे

किस तरह जब हज़ार प्यासे हैं

चार-छह बूंद आब बांटोगे

आज तक क्या लुटा रहे थे तुम

छोड़ जिसको कि ख़्वाब बांटोगे

कौन पीते यहां उन्हें पकड़ो

क्या कि सबको शराब बांटोगे

प्रश्न है आंख कौन फोड़ेगा

शहर-भर में किताब बांटोगे

देश-भर से सवाल आये लख

एकता ! इक जवाब बांटोगे

-केशव शरण

सिकरौल, वाराणसी