राज ए दिल छुपाने की चिलमन हुई।
चेहरे की रंगत में,चांद नज़र आए,
तेरी मुस्कुराहटों की मधुबन हुई।
हुस्न ए शबाब उसपे तेरी शोखियां,
जिसने देखा उसकी जानेमन हुई।
तुम जो चलो हवाएं जुल्फों से खेले,
लहराए ऐसे कि काली नागन हुई।
तेरे नैनों से छलकती जामे मस्तियां,
न उतरे खुमारी जिंदगी नशेमन हुई।
'अनजाना' ये सफर है मुश्किल हुआ,
कांटों भरी राहें भी गुलशन हुई।
-महेश 'अनजाना'