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समय

 ना  जाने  कौन  सा समय

प्रेम  की  सौगात  बन  जाए

ना  जाने  कौन  सा समय

नफरत का  बीज  बो  जाए..

 

ना  जाने  कौन  सा  समय

मिलन  की  रात  बन  जाए

ना  जाने  कौन  सा  समय

विरह  की  कोई  बात  कह जाए..

 

ना  जाने  कौन  सा समय

आके  मन  को  गुदगुदा जाए

ना  जाने  कौन  सा समय

झट  से  आके  रुला जाए..

 

ना  जाने  कौन  सा समय

जीने  की  कोई  राह  दिखा जाए

ना  जाने  कौन  सा  समय

मौत  का  पैगाम ले  आए.....!!

 

-आभा सिंह

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश