मैं क्यों दिन में न जाऊं
बता दो मुझको माई.....
सुबह सवेरे सूरज जाए
कलियों को वह हरषाए
बता दो मुझको माई....
मां मुसकाई गले लगाई
बोली ऐसी बात न कोई..
सूरज तेरा भाई......
सूरज न तो घटता बढ़ता
न सांझ कभी मिल पाई
ऐसा तेरा भाई.........
तू तो घटता बढ़ता रहता
चांदनी के संग तू हरदम रहता
बच्चे तुझको मामा कहते
प्रेमी तुमसे प्रेम जो करते
पर तेरा क्या पाए भाई....
सूरज जैसे तुम न तपते
शीतलता में तुम हो रहते
बता दो रोशनी कहां से पाई...
ऐसा तेरा भाई.......
बता दो मुझको माई.....
-किरन वर्मा
बंगलूरू, कर्नाटक