आज तक जो कुछ कहा
क्या कभी ख़ुद भी सुना
जन्म से मुझमें रहा
मैं नहीं तो कौन था
मैं फ़साना क्यों हुआ
काश तू ये जानता
ज़िन्दगी - भर का सिला
सिर्फ़ तू हासिल रहा
वो जो नज़रों में रहा
काश मुझको दीखता
मैं किसी का क्यों हुआ
ये गिला है आपका
था ज़माना साथ में
साथ में जब तू न था
-विज्ञान व्रत