ख्वाहिश

अरुणिता
द्वारा -
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 1.

बूढ़े शज़र को पानी तो मिले।

जीने को जिंदगानी तो मिले।

 

भूखे को रोटी  मयस्सर नहीं,

उनको  दाना  पानी तो मिले।

 

चेहरे  की रौनक  फीकी  हुई,

खुशियों की रूहानी तो मिले।

 

दर्द ए दिल मुहब्बत  में पाया,

दुआओं में रब्बानी  तो  मिले।

 

'अनजाना' बनकर सुने  दास्तां,

ता उम्र किस्से कहानी तो मिले।

 

2.

बादलों के पार कौन रहता है।

घटा घनघोर पे मौन रहता है।

 

बिजलियां चमकती रही तभी,

अंधेरा भी चकाचौंध रहता है।

 

बारिश में बूंदों के शोबदे देख,

दिल न जाने बेखौफ रहता है।

 

अकेले में वो याद आए अगर,

आस्ताने पे शबोरोज रहता है।

 

हालेजार मौसमे बयां क्या हो,

नूर लगे कहीं, खौफ रहता है।

 

अताबे-इलाही से थरथरा कर,

अमूमन लोग मखौफ रहता है।

 

कुदरत के करिश्में से अनजाना,

जिंदगी में ज़ौक ज़ौक रहता है।

 

महेश ' अनजाना '

जमालपुर

 

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