बाबा की परी बनने दो।
फूलों की तरह खिलने दो,
तितलियों की तरह मचलने दो।।
मै देवी का रूप हूं,
देवताओं की प्रार्थना हूँ |
तुम्हारे बाग की कली हूं,
अपना भाग्य संग ला रही हूँ |।
तुम्हारी परछाईं बनूंगी,
बाबा के संग चलूंगी।
तुम्हारा सहारा बनूंगी,
बाबा की आंखों का तारा बनूंगी।।
मां मुझे गर्भ में ना मारो,
अपनी कोख को श्रापित ना करो,
ईश्वर का वरदान हूं,
तुम्हारे लिए ईश्वर का उपहार हूं,
मां मुझे ना मारो,मुझे जन्म लेने दो।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश