क्या होता है हाल
ज़रा दिल थाम के सुन लो |
जिसकी एक को दिल
कई बार उनकी गलियों
से गुजरता है,
ना देख उन्हें मन कई
ख़्याल बुनता है|
दिन और रात के बीच
आँखें उसे खोजती है,
एक झलक भी जन्नत
सा लगता है |
हर ख़्वाहिश उससे
जुड़ जाती है,
उसकी ख़ुशियों में दिल
झूमने लगता है|
दिल घबराता भी बहुत है
जमीं से अंबर के मिलन सा
खुदका मिलन देखता हैं,
सोच सोच बेचैन भी होता है
सामने कुछ ना कह अफ़सोस भी
होता है|
रात भर उसके ख़्वाबों
में रंग भरता जाता है,
उसकी ख़ुशियों की ख़ातिर
पंगे बहुत पाल लेता हैं |
ए दिल ! ज़रा रूक जा
यूँ दुर से निहारेगा कब तलक ,
धीरे-धीरे इश्क़ का बढ़ना
दीवाना किये जा रहा है अब तक |
मिल जाए वो तो ए ख़ुदा तेरी
इनायत होगी,
ये इश्क़ वर्ना ताउम्र
एक तरफ़ा इश्क़ होगी ।
-रीना अग्रवाल
सालेहा, उडीसा