अभी तक

अरुणिता
द्वारा -
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 इक लक्ष्य दिखाकर न दिखा यार अभी तक

मैं देख रहा राह लगातार अभी तक

 

हम रोज़ मिले रोज़ मिले और गले भी

अफ़सोस कि पैदा न हुआ प्यार अभी तक

 

अरमान बहुत और बहुत ख़्वाब हमारे

इक ने न लिया रूप व आकार अभी तक

 

छोटी न घड़ी एक, बड़ी रात अँधेरी

कोई न प्रकट चाँद न भिनसार अभी तक

 

जो देख लिया हुस्न गुनहगार हुआ मैं

ये और मज़ेदार गिरफ़्तार अभी तक

 

संघर्ष किये ख़ूब कि था राज बचाना

नृप ने न दिया एक पुरस्कार अभी तक

 

जो रोज़ नये खोज समाचार कभी दे

उसका न मिला एक समाचार अभी तक

 

 

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केशव शरण

वाराणसी, उत्तर प्रदेश

 

 

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