Ads Section

नवीनतम

10/recent/ticker-posts

मुक्ति

           आखिर उसने सोच-विचार कर शादी कर ही ली। घर में मुन्नी की नई माँ आ ही गई।

          नई माँ को देख मुन्नी सबसे ज्यादा प्रसन्न थी। वह दिन-रात नई माँ के आवभगत में लगी रहती। वह उसमें अपनी माँ की छवि तलाशने लगी। वर्षों गुजर गए। नई माँ के बदलते तेवर देख वह अपनी कठिन परिश्रम और निष्ठापूर्ण व्यवहार से उसके भीतर के सोये हुए मातृत्व को अनावृत करने लगी।

          ‘नई माँ, आप कुछ भी कहें, पर मैं अपने पापा की सी करती ही रहूँगी’।

          ‘चुप भटियारिन! रात गए तक पता नहीं दोनों गुटमुट करती रहती हैं मर्द-औरत की तरह। उसे जब बेटी से ही रास रचाना था तब मुझे क्यों लाया था पालकी पर चढ़ा कर!’ उसकी माँ एक साँस में ढेर सारी कह गई। मुन्नी फफक रही थी।

          ‘बस्स, नई माँ बस्स! अब थोड़ा दिन और ----------। मैट्रिक का रिजल्ट भी हो गया है। मैं घर से चली जाऊँगी।'

          ‘कुत्ती! कुलबोरनी!! जाएगी कहाँ? मन तेरा कहाँ लगेगा! -----------कॉलेज में पढ़ेगी! पढ़ के का करेगी? भूँसा-कटुवा तो तुझे करना ही है! थोड़े इंजीनियर मरद उतारने वाली हूँ! जहाँ जाएगी, खानदान तार देगी!----बाप का नाम रोशन करेगी!!-------- जाओ अपने--------!'

          अचानक दरवाजा खट-खटाने की आवाज सुन, नई माँ का भाषण बीच में ही बंद हो गया था।

          मुन्नी तुरंत सामान्य हो गई और निर्विकार भाव से जा कर दरवाजा खोल दी थी। उसके पापा अंदर पाँव रखते ही कुछ परिवर्तन महसूस कर रहे थे। शायद दरवाजे के बाहर ही उसके भाषण के कुछ अंश सुन वे भविष्य के प्रति सजग हो गए थे। अब उन्हें मुन्नी के कॉलेज में नामांकन से अधिक उसकी शादी की चिंता सालने लगी थी। दिन ऑफिस में और रात घर के आँगन में कटती जा रही थी।

          आज उसकी शादी बड़े धूम-धाम से एक इंजीनियर से तो नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष में पढ़ रहे लड़के से सम्पन्न हो गई। उसकी विदाई हो रही थी, -‘जा बेटी, हम सब मुक्त हो गए। तुझे वहाँ नई माँ तो नहीं, अपनी माँ मिलेगी। ---------- जरूर मिलेगी!!’ उसके पापा के अंदर का आदमी बड़े संतोष के साथ बोल रहा था।

ललन प्रसाद सिंह,

403,श्याम कुटीर एपा.,

नाला पर,सिद्धार्थ नगर,

जगदेव पथ,पटना-800014