तू औरत है
ये भूलना मत
अपनी इच्छाओं की पिटारी
कभी खोलना मत ।
तू माँ बनकर लुटा
स्नेह अपार
बहिन बनकर दे
भैया को प्यार
स्वयं के लिए कभी
सोचना मत ।
बनकर पत्नी
घर संभालना
पुरस्कार में मिलेगी
तुझे सिर्फ ताड़ना
अपने लिए कभी
बोलना मत ।
यद्यपि अब तू पढ़ी है
दिखने में कुछ बढ़ी है
तस्वीर अब भी तेरी
खोखले आदर्शों पर टंगी है
तू , तू है वही
ये जग भी वही जग है
भूल से भी स्वयं को
इससे तोलना मत ।
आज भी वही
कुत्सित विचार
फब्तियों के दर्शन
होते बलात्कार
कुछ ना कर पाई
बदलाव की बयार
पुरुष-दर्प की दीवार
तू नोचना मत।
तू औरत है
ये भूलना मत ।।
- व्यग्र पाण्डेय
कर्मचारी कालोनी
बचपन स्कूल के पास, गंगापुर सिटी
सवाई माधोपुर (राजस्थान)